गज़ल ~ साम चढबैत जवानी छै हमर


नै   पुछ   मिता   कि - कि   कहानी   छै  हमर
बालु   पऽ   साम   चढबैत   जवानी   छै  हमर

मरुभूमिमे  बालुके  घोंरस्ँ  दही जम्बै छी हम
लोक  पतीयाइ  कहाँ ?  तैं इ  फुटानी छै हमर

तला  छोडु,  दु  तला पऽ रहै छी, हम विदेशमे
मुदा बिनु  बर्खे चुबैत  घरक ओर्यानी छै हमर

समाङ्गमे  नइ  पुछु,  हम  बड  हेंजगर  छीयै
घर जाऽक देखबै तँ सुनसान, दलानी छै हमर

हम   ओइ   देशके  लोक,  जे  ककरो  दास  नै
नजैर  पसारै छी तऽ, जिनगी गुलामी छै हमर
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