गज़ल ~ सपना नोरक

कखनो अहाँक अपनाबकऽ लेल कनली
तऽ कखनो हम अहाँक अपनाकऽ कनली

हियामे हम सजौने छली हजार सपना
सभ सपना नोरक सँग बहाकऽ कनली

एक तर्फी प्रेम छल हमर हमरा लगैय
तें अपन प्रेमक संसार लुटाकऽ कनली

झुठोक प्रेम जालमे फासलकऽ वो हमरा
हम फसल माछ सन छटपटाकऽ कनली

हम पागल-आशिक, दिवाना छली प्रेममे
तें वो निर्मोही के जिनगी बनाकऽ कनली

आई छोरि' गेल हमरा बनि' दोसरकऽ दुल्हिन
हम टुटल हिया के हियास लगाकऽ कनली
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