मैथिली लप्रेक ~ लाल काकी




__.✍ हरेकृष्णा ठाकुर 
मधुबनी, बिहार
हाल : गौहाटी

फट..फट..फटफट..गुइं...गू...गूँ.गूँ...आवाज करईत एक टा फटफटिया लाल काकी के ठीक सामने रूकल वा चलेनाहर के जबरदस्ती ब्रेक लगाबय परलै ।
~ कि हय..मारि देब'...सूझै नै छह...करिया चश्मा छोरि उजरा बाला कियै नै लगबै छह ?
~ दादी ! अहिँ बिना चारु दिस तकने धरफरैल रस्ता पार करई छलहुं, हम तऽ आस्ते-आस्ते चलबै छलहु ।
~ तऽ कि हम्ही आन्हर छी...कि हमरा सौख धेल कय तोहर फटफटिया तर में आबऽ के !
~ नै दादी..नै तम्साऊ..गलती भऽ गेल..कान पकरै छी ।
~ हूँ ह...जा..गलती भऽ गेल, बोल केहन टनगर अछि । कहैत लाल काकी मुँह दुईस अंगना दिस विदा भेली ।
अंगना में पहुँच कऽ चौड़ी गाम बाली पुतोहु के हल्ला करैत बाजय लगली..
~ सुनै छी यै लक्ष्मी सून्नरि ! आहाँक गाम बाली जे , पुबारि टोल में बसै यै , तकर बेटी तऽ आई हमरा जाने मारि दैत ।
~ कि भेलैन माँ...चोट तऽ नै लगलैन ?
~ धू जाऊ..कनिये लय बैच गेलौउ..एना लोक गाड़ी -घोड़ा दौड़बै यै..जमाना उलटि गेलै यै..एं कहू तऽ बेटी-गाटि के लोक फटफटिया चलबै लय देल्कै यै...अन्हेर युग आबि' गेल अछि...ओकरा बाप के कि होई छै जे दू पाई कमा लेलौउ आ धिया-पुता के पढ़ा लेलौउ तऽ कलामी भऽ गेलौउ...बियाह काल में सबटा..ओई में घुसैर जेतै ।
~ यै माँ ! सुनै छियै बेटा कम्पूटर ईँजियर आ बेटी बेंक मे मनेजर भऽ गेलै यै...धू हमरा तऽ कहलो नै होई यै...आ हमर गाम बाली तऽ शहर में व्यू..टे सि.यन के काज करई छै....दुनिआ बदैल गेलै यै माँ..आब छौरा-छौरी में कि अंतर तकै छथिँह ?
~ आहुँ तऽ देहे झर्काबय बाला बात बजई छी...जाऊ-जाऊ केहन-केहन के देखलियै...एं यै हम सब एखन तक दलान बाला क'ल पर पानि' लय नै जाय छी आ आई कालिह के छौरी गाड़ी हुड़हुराबै यै...राम-राम घोर कलियुग...जाऊ ने मुँह कि तकै छी..चाह बनाऊ गऽ ने..बुरहो दलान पर सँ अँघोल केने चाहे लय आबैत हेता ।
~ जाय छी माँ...मूदा हिन्को दू-दू टा समर्थ पोती छैन..तकरा लय चिंता करौउथ...ई अपना जिद दुआरे पढ़' लिख' तऽ देल्खिन नै..हिन्का पोती के कोना बियाह हेतैन ?
~ जाऊ-जाऊ हमरा सीख बऽ चलली है...जेना अपने बरिस्टर के बेटी होईथ...हम अपने जिबैत पोती के हाथ पियर करब । बाजैत लाल काकी पीछा मुरि' कऽ देख्ली, बुरहा खकसैत अंगना दिस आबैत बाजल छलाह
~ "आहाँ के स्वभाव नै बदलत...दुनिआ कत' सँ कत' चलि' गेल आ अहाँ एख्नो ठेहुनिये दई छी ।"