करम के डोर सँ बान्धल अछि जिनगीकऽ एक कहानी
जन्म दैत अछि माँ बाप करम तऽ अपनेही
नवधिया : नमस्कार राजा साहब !
राजा : नमस्कार ! आऊ बैसू !
नवधिया : राजा साहब हमरा किए बोलैलौं ह ?
राजा : अहाँ सँ एकटा जरूरी काज पैड गेल तै ताहिसँ आहाँ के बोलेलौं ह ।
नवधिया : जी राजा साहब कहुँ ने कि काज पडल ?
( राजा ऊ लाँल निकाईल के देखऽ दैत छैक आ कहैत छथि )
राजा : ई अहाँक अछि ? अहाँ आन्ले छलौं ?
नवधिया : जी हम आन्ले छलौं !
राजा : अहाँ ई कऽतऽ सँ आन्लौं ? हमरा अइके जोडा चाही ! अहाँ हमरा अइके जोड़ा लाबि दिय ।
नवधिया : अच्छा ठीक छैक राजा साहब हमरा एक सप्ताह के समय दिय अइके जोड़ा लाबि देब ।
राजा : अच्छा ठिक छै अहाँ के हम देलौं एक सप्ताह के समय ...
नवधिया : लिय तब हम जाएत छी । राजा साहब !
राजा : लिय जाऊ जल्दी आएब ।
नवधिया : जी हेतै ।
( नवधिया घर आवैत अछि तऽ मेनुका हुन्का सँ पुछैत छथि ।)
मेनुका : अहाँके राजा साहब अप्पन महलमें किए बजैने छल ?
नवधिया : राजा याह् खातीर बोलैने छल की, जे अपना सब अप्पन राजसँ आबैत काल नदीमें ओ चिज ने बहैने छली से हुनका चाही, व्याह् के लेल हमरा बोलौने छलाह ।
मेनुका : मुदा राजा साहब के कोनाकऽ पता चलऽल जे अहाँके उ चीज के बारेमें जानै चाहैत अछि ।
नवधिया : हम आवैत खिन अहाँ सँ नुकाकऽ पेंठमें धऽ लेने छलौं कि वेहें पर्सुखिन हम गडकावैत छलौं से गरैक के राजा साहब के द्वार पर चलि गेल आ ओ राजा सहाब के बेटी उठा लेलनि ताहिसँ हुनका मालुम भेल हमरा ओ चिज के बारेमें थाह छैक कहिके !
मेनुका : हम अहाँक कहने छलौं नै लिय फेक दियौ कैह के मुदा अहाँ नै मानिकऽ हमरासँ नुका कऽ आनि लेलौं आब भेल ने फसाद ! अच्छा कोई बात नै जाउ हुनका हुनकर जोडी आनि दियौ ।
नवधिया : अच्छा ठीक छै हमरा बटखर्चा के जोगार कऽ के दिय हम जा रहल छी ।
मेनुका : कनिक रूकु , लिय ऐमें जलखै अछि , बाटमें भुख लागत तऽ खाऽ लेब ।
नवधिया : हेतै ! लिय हम जाएत छी ।
मेनुका : जाऊ जल्दी आबि घुरि कऽ ...
नवधिया : अच्छा हेतै !
क्रमश :