|| प्रदेश ||

माई जान पऽ खेल के प्रदेशसँ,
रूपैया कमा के लैबौँ !
प्रदेशमें मेहनत मजदूरी करि,
रूपैया जमा के लैबौँ !!

अनपढ़ जका गाउँ घरमें, 
बौँवाईत हम रहैं छी !
दोसर मुल्कमें जाके हम, 
ज्ञानो बुद्धि समा के लैबौँ !!

तोरा दूध के खून अपना, 
नस-नस में दौडा रहल छी !
प्रदेशोमें अपन मैथिल भाषा,
ओर हम बना के लैबौँ !!

गाउँमें एगो ठेठ्ठी तऽ एगो, 
मैथिली भाषा बाँजि रहल छी !
प्रदेश जाके अप्पन मैथिली भाषा, 
ओर हम छना के लैबौँ !!
                    __. ✍ सुरज  कुमार "प्रितम"