गज़ल ~ समाजक' नाङ्गैरकट्टा अगुवा

समाजक' नाङ्गैरकट्टा अगुवा बानर नाच नाचै छै !
राजनीती के अगुवा सब मदारी बनि' नचाबै छै !!

वो जे दलाने दलान कल जोड़ीक' घुमैत छलै !
सत्ताक उन्मादमे आइ जनताक' सोनित बहाबै छै !!

आर कतेक तांडब करतइ वो सब से नहि जानी !
मायक' कोख उजारीक' कोना हकन नोर कनाबै छै !!

सिनुर पोछि सुहागन के बिधवा रूप बना देलकै !
टिकुली चुड़ी नोचीक' आब उजरा साड़ी पहिराबै छै !!

सगरो जरइ छै  फेर सँ चिता देशक' ओहि बेटा के !
जे देशमे भाईचारा के खातिर जान तक गमाबै छै !!

सहिदक' चिता सँ जे सब घर दिवाली मनेने छल !
उवेह सब निरलजताक संग सत्ता फेरसँ बनाबै छै !!

जनताके इ सब बागर बुझि' सत्ता खाली बदलै छै !
अहिने नेता सब अहि देशमे राष्ट्रबादी कहाबै छै !!
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__.✍ बिजय कुमार झा
देवडीहा, नगराइन धनुषा (नेपाल)