गज़ल ~ कोन आँखि खोललियै भोला

कोन आँखि खोललियै भोला, थरथर कापै संसार !
खोलि दियौ दयाकें आँखि भोला, जग होईय अन्हार !!

पानि बिनु  जीव तड़पै, असारमे बर्खा रुकलै !
कहि दियौं इन्द्रसँ भोला, सुखि' गेलै पोखरा  ईनार !!

निर्धन ई किसान यौ भोला, ताकै सबदिन अकाश !
एक नजर ताकि' दियौ भोला, खेतोमें फटलै दरार !!

कतेक भाँङ्ग खा लेलियै भोला, कहाँ चलि गेलियै !
आबि' जाउ बसहा चढ़ि' भोला, धर्ती माँ भेलै बिमार !!

वस्तु जिव सभ कलाएल, जीव लेल करे  संर्घष !
बिनती सुनि' लियौ महादेव, आएल छी दरवार !!
______________________________________________