गज़ल ~ चोर नयन सँ मन


चोर नयन सँ मन चोराव चाहैछी अहाँ के !
अपन मोनक मित बनाव चाहैछी अहाँ के !!

मोन मे प्रेमक बादल उमरि' रहल छैक !
वर्षा बनि' भिजाव चाहैछी अहाँ के !!

दीवाना बनि' अहाँक याद मे वन-वन भटैक रहल छी !
अपन हृदय के आँगन में सजाव चाहैछी अहाँ के !!

अहाँ बिनु नै सुर नै सरगम अछि प्रिय !
संगित बना गून-गूनाव चाहैछी अहाँ के !!

चाँद देख-देख " सत्या " बनवैय अहाँक तस्वीर !
कहिया ऐब अागु छाती सँ लगाव चाहैछी अहाँ के !!
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