|| प्रेमक कचरी ||


चौबनीया मुस्कि
मारलक बेजोर
उरल मोन
गगन के ओर
धियापूता मोन
नै बूझलकै
दौरल
उरैत तितली के पाछू
रूचीगर सँ
खेए लागल
प्रेमक कचरी
पहीनके कर मे
परल अकरी
फेकू की घोटू
बीचे मे लटकल
ससरी
देखते देखते
बढल परेशानी
एकौ मिसिया सूख
नै देलक निशानी
दूनू हाथे
कान पकरली
आब नै भागब
तामझाम के पछारी
बाहर किछू
भितर किछू
सब सुनरी के छै
एकहीटा पेहानी
केहूनो
टूकरी मोन के समझैली
बितलाहा बात
बिसैर जाउ
आब हसीं खुशी
बिताउ जिनगी
नभका सपना मे
बहैक जाउ
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__✍ सत्या यादव (सरोज)