छवि : प्रिना तिवारी |
मोन मे अहिंक तस्वीर गढैत रहैछी ।।
नैनक' तीर चला करेजा केलौ छल्ली ।
तिरछी नजरि' सँ हमर मोन भरमबैछी ।।
बहै छै बसंत प्रेमक' राग गबै छै कोइली ।
आँखिमे मिलनके सपना हम ओरिअबैछी ।।
मुस्कैत छी आहाँ तऽ हमर सपना जूराइअ ।
जिनगीक' बाट' अहाँक याद सँ सजबैछी ।।
विश्वास अछि आई जोरब नाता अहाँ ।
तही सँ हम प्रेमक' मड़ैया बनबैछी ।।
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नैनक' तीर चला करेजा केलौ छल्ली ।
तिरछी नजरि' सँ हमर मोन भरमबैछी ।।
बहै छै बसंत प्रेमक' राग गबै छै कोइली ।
आँखिमे मिलनके सपना हम ओरिअबैछी ।।
मुस्कैत छी आहाँ तऽ हमर सपना जूराइअ ।
जिनगीक' बाट' अहाँक याद सँ सजबैछी ।।
विश्वास अछि आई जोरब नाता अहाँ ।
तही सँ हम प्रेमक' मड़ैया बनबैछी ।।
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__✍ सत्या यादव (सरोज)
जनकपुर धाम (नेपाल)