गज़ल ~ अहिंक तस्वीर

छवि : प्रिना तिवारी 
भूलो सँ हम आहाँके भूलि' नै पबैछी ।
मोन मे अहिंक तस्वीर गढैत रहैछी ।।

नैनक' तीर चला करेजा केलौ छल्ली ।
तिरछी नजरि' सँ हमर मोन भरमबैछी ।।

बहै छै बसंत प्रेमक' राग गबै छै कोइली ।
आँखिमे मिलनके सपना हम ओरिअबैछी ।।

मुस्कैत छी आहाँ तऽ हमर सपना जूराइअ ।
जिनगीक' बाट' अहाँक याद सँ सजबैछी ।।

विश्वास अछि आई जोरब नाता अहाँ ।
तही सँ हम प्रेमक' मड़ैया बनबैछी ।।
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__✍ सत्या यादव (सरोज) 
जनकपुर धाम (नेपाल)