विदेश-विदेश कहै छै विदेशी के
जिनगी बेकार यौ !
नई खाई के ठेकान नई सुत के ठेकान
एत तऽ दिन राति' छै कामे काम यौ !!
समय पऽ मुदिर, मालिक दै नई छै
काम के पाई !!
घरमे तऽ गारजियन के महिने पिछे
चाही दाम यौ !!
विदेशीक' जिनगी मे कभु नई छै यैस
अराम यौ !!
दिन राति' छै कामे-काम यौ
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__.✍ धनेश्वर ठाकुर
धनुषाधाम - ४ लक्ष्मीपुर
हाल : दोहा, कतार