गज़ल ~ जिनगी जखन प्रीत मे बदलल

देखु जिनगी जखन प्रीत मे बदलल !
दुस्मन सेहो तखन मित मे बदलल !!

बिनु रुपैया नई रहै कोई बाबु आ भैया !
भेल दु पाइ तऽ सब हीत मे बदलल !!

आस नई छोडने छलौ आखरि सास तक !
तबे तऽ हार हमर जित मे बदलल !!

हम लिखने छलौ गजल कबिता मुदा !
जँ देलौ सुर ताल तऽ गीत मे बदलल !!

कनैत तऽ अस्गरे मे फूलोके देखने छी !
लोक कहै अछि नोर सीत मे बदलल !!
बार्णिक बहर 
वर्ण : १५ 
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