छवि : मैथिली कलाकार - सरिता साह |
घबाह कर पऽ बिवस भगेलहुँ ।
कि तोरा मनमे धोंइध छौ
जतऽ
पहिलेसँ कतोको मन घायल छै
तोहर चेछरल घाउ
घायल सभहक चमरीसँ
मेटा जाए छै
मुदा
मनमे पिजुवाईत रहै छै बर्षो बर्ष धै'र
जँ
बैठ लगैत छै ओकरा सभहक
घाउ पऽ खैंटी
तखन चटसँ तों ओदारि दैत छीही
आ
कऽ दैत छी ही
एकटा नव रंगक प्रेमक जादु
फेंरसँ ओ मन लहुलहुवान होइतो
तोरा मनक धोंइधमे रहबाक
मजबुर भऽ जाए छौ
तों छरपी सेहो छे
छरपैत रहै छे
अइ पार ओइ पार
कखन कोन धुर तोडबे
कखन केकरा पऽ भडकबे
से तहुँ नहिं जनैत छे
मुदा दुनु पारके तों
निक जकाँ सम्हारि लैत छे
तैंय ऐहो काज हमरा तरफसँ
तोहर पैघे छौ
तोहर समुचा करणमा देखितो
हम
तोरा मनक कोनामे जा'बैठ गेलहुँ
छवि : मैथिली कलाकार - सरिता साह |
से सायत तों नहिं बुझिसकै छे
किए तऽ
तों अपनाके वेश्या बुझै छे
अपना देहके ब्यपार बुझै छे
तोरामे सभ गुण खरापे नइ छौ
छनीके सही मुदा
तोरामे अपनत्व बढैबाक गुण छौ
जे
बहुतो नेतृत्वकर्तामे नइ अछि
अपन देहे बेचिक सही
मुदा
समाजक बिकृतीके रोकबामे
तोहर बहुत बड हाथ छौ
नइ तऽ आओर बेसी
होइतै अन्होनी सभ
ऐहे किछ खोजबाक लेल
तोरामे संनियाईत गेलीयौ
मिझीरीयाईत गेलीयौ
हमरा तों स्वार्थी नइ बुझी हे
हम एकटा खोज कर्ता बनिक
घबाह भेल छलीयौ
आ
खोजिलेलीयौ तोरामे
अपनत्व बढैबाक गुण
छौ तोरोमे कि छौ
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__.✍ राम सोगारथ यादव