मैथिली लप्रेक ~ समतोलिया


हाल : दोहा, क़तर

- समतोलिया एना किया ओहि कात मुह घुमा कऽ सुतल छी ? कनी हमरा दिस घुमू नऽ ।
- दूर जाउ !  हमरा लग एना नै सटियाउ । हमरा एहन छुछ दुलार नै नीक लगैय । सब राति हमर निन ख़राब कऽ दै छी अहाँ । सबेरे घर आबै नै छी । राईतो मे रहैछी  टंडेली कर पऽ आ सुतल बेर मे आबै छी प्रेम करे।
- समतोलिया नै खिसियाऊ आई कोन दिन छै से इयाद अछि आहाँ के ?
- हअ ! आई शुक्र अछि । बेसी नै बोलौक आ इहो सुति रहौक ।  हमरा बड़ जोर निन्न लागल हबे ।
- एह ! से तऽ हमहू बुझै छी आइ शुक्र अछि । हमरा लेल आइ बहुत पैघ दिन छै । आ हम आई ई राति ब्यर्थ नै जाइ देबै ।
- कोन बड़ पैघ दिन छै ? से ई आइ एतेक खुरछारी काटि रहल छै।
- हे ! कहलिअ आइए के दिन हम आहाँ के प्रेम प्रस्ताब रखने रही आ  आहाँ स्वीकार कऽ लेने छलौ । कहू तऽ अहि सँ पैघ हमरा लेल कोन दिन रहतै । तै आई हमर ई राति पर पानि नै फेरु प्लीज । कनी आउ नऽ लग मे ।
सब राति कोनो नऽ कोनो बहनने हमरा ई फुसलाइये लै छै ।
- हँ हँ नै फुसलाएब तऽ हमर राति कोना कटतै     ....?