|| प्रेमालाप ||

ओ मोन
जे बताह भेल करय
अहाँकेँ देखिते सोचिते
एखनो बताह अछि

अपन हृदय पर परल
अहाँकेँ पदचापसँ
हम भजारति छी बाट घाट
भरिसक
जेना माय-बाप-भाइसँ नुका-चोरा
पहिने
बड़ पहिने
हमरासँ भेंट करय आयल करी
आब
हमरासँ नुका अपन माय-बाप-भाइसँ
त' नहि भेंट करय आबैत छी

मुदा नहि
अहाँ नहि अबैत छी
हम बुझैत छी अहाँ नहि अबैत छी
कारण - -
अहाँ बला सुगन्धि
कहाँ कहियो
बसातक कहार
हमर मोन आँगन धरि अनलक अछि
अहाँक गेलाक बादसँ
वसंत त' जेना गामक बाटे बिसरि गेल
मुदा
अनसोहांत सन गबैत रहैए
कोइली - - जाहि बाटय हरि गेला

हँ
दूभि जनमि गेलैए भरिसक
ओहि ठाम
जतय घेंटाजोड़ीक' बैसल करी
हम अहाँ

बहुत रास बात
किछु रुसल क्षण, किछु बौसल क्षण
एकदोसराकेँ निहारति क्षण
एकटा अनंत प्रतिक्षाक क्षण
जखन कखनो एहिठाम (हमर चारुधाम)
अबैत छी हम
भासि जाइ छी स्मृतिमे
मोन परैए
हम जे कहल करी
ओरियाक' हँसू
छिहलि जएत अहाँक ठोरसँ
मुसकीक फूल
अहाँकेँ सोहमे बिसरा जाइत अछि
बितल समय

एखनो लोढ़बाक लेल झुकि जाइत छी हम
मुदा किछु नहि भेटैए

एकटा लिलसा
लगैत अछि
जेना अचिया धरि संगे जाएत
कोहवरकेँ खीर त' नहि रन्हा सकल
आब जेना अरगासने रन्हएत
हँ
त' लिलसा अछि
अहाँकेँ देखी
सिउथ सिनूर लगौने
अहाँ केहन लगैत छी
मिझाइत साँझ सन
आ कि
भकरार भोर सन
मुदा की
अहाँकेँ आनक सोहागिन बनल
हम देखि
जीवि सकब - -
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__✍ मैथिल प्रशान्त 
दुर्गौली, बेनीपट्टी (भारत)