गज़ल ~ छुबिते अहाँके

मजाकेमे   हसिक'   ई   कि   केलियै   यार
पजरामे    सटिक'    ई   कि   केलियै   यार

छुबिते    अहाँके    करेजा   झनकि   उठल
पाजामे    कसिक'    ई   कि   केलियै   यार

गाम    सँ    शहरधरि   एक्कैटा   शोर   छै
भरि   राति   बसिक'   ई   कि  केलियै यार

अहाँक ठोरंङा तऽ अहीँ ठोरमे होबाक चाही
हमर  गालमे  घसिक'  ई  कि  केलियै यार

धनिकहाके     बेटी      गरिबहाके     घरमे
हमरा  संगे   फसिक'  ई  कि  केलियै  यार


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