आँखिक काजर कि बनी ठोरक लाली हम
रही स्वतन्त्र कि करी अहाँक गुलामी हम
पुवासन फुलल गाल नै जानि ककरा ला'
देखैत छी अहूंके बनल मतबाली हम
मारैय जोबन हिलोर जेना जोर जोर सँ
लागे यौबन रसमे खूबक' नहाली हम
सुन्दर बागके अति सुन्दर गुलाब अहाँ
मोन होइअ रही सदा अहीँ के माली हम
रही सदिखनि बनिक' नाकके नथिया कि
झुलैत रही बनि कानमे कनबाली हम
जऽ रहितौ चोली सटल रहितौ करेजमे
नै कहु त' बनि जाइछी देहक साड़ी हम
अहीँ के प्रेम लेल भुखाएल भेटत 'बिन्दु
भेटे जँ साथ त जिनगी स्वर्ग बनाली हम
सरल बार्णिक बहर
आखर : १६
_________________________________________
__✍ विन्देश्वर ठाकुर
जनकपुर धाम (नेपाल)
हाल : दोहा, क़तार
रही स्वतन्त्र कि करी अहाँक गुलामी हम
पुवासन फुलल गाल नै जानि ककरा ला'
देखैत छी अहूंके बनल मतबाली हम
मारैय जोबन हिलोर जेना जोर जोर सँ
लागे यौबन रसमे खूबक' नहाली हम
सुन्दर बागके अति सुन्दर गुलाब अहाँ
मोन होइअ रही सदा अहीँ के माली हम
रही सदिखनि बनिक' नाकके नथिया कि
झुलैत रही बनि कानमे कनबाली हम
जऽ रहितौ चोली सटल रहितौ करेजमे
नै कहु त' बनि जाइछी देहक साड़ी हम
अहीँ के प्रेम लेल भुखाएल भेटत 'बिन्दु
भेटे जँ साथ त जिनगी स्वर्ग बनाली हम
सरल बार्णिक बहर
आखर : १६
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__✍ विन्देश्वर ठाकुर
जनकपुर धाम (नेपाल)
हाल : दोहा, क़तार