गज़ल ~ होलीके दिन

रंग लगावै लेल ललावै हमर देह यौ पिया ।
होलीके दिन नजदिक एलै अहाँ एबै कहिया ?

पुर्वा, पछिया हावामे हमर अचरा उडियाबै
अहाँ बिनु धडकैय हरदम हमर छतिया ।

गावैय जोगिरा सरऽ रऽ रऽ गामक' किरतनिञा
सुनिके याद आवैय बितल होलीके पिरितिया ।

बुझू परेसानी हमर जल्दी आबि' आउनें घर
अहाँ बिनु सबदिन होयत छै बिछौना बसिया ।

सखि बहिन्पा सब हरदम हमरा जिसकावै
मौकामे चौका मारें खोजैय "प्रयास" रंगरसिया ।
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