गज़ल ~ सुनर रूप पऽ गुमान

सुनर रूप पऽ नञि कर तू अतेक गुमान गै जुली ।
मारि चौवनियाँ मुस्कान नञि ले जान गै जुली ।।

झापल चिज सोहनगर लगै झपऽले मे नीक ।
एना देखबैत नै चलै अपन दोकान गै जुली ।।

सभ सोचिले तू अखने दोख दिहे नञि वाद मे ।
बिगरतौ बात जखन डोलतै इमान गै जुली ।।

धनिक'कऽ बाप के बेटी नञि हो फेसन मे चुर ।
बात मान कनिको तू राखै बापक' मान गै जुली ।।

निहोरा इ राजदेब के पहिर मैथिल पोशाक ।
छोडै नैनपन तू भेलए अाब सियान गै जुली ।।
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__✍ राजदेब राज 
चौहर्वा, सिरहा (नेपाल) 
हाल : मलेसिया