|| उगि गेल चौठी चान ||

उगि गेल चौठी
के चान
खाली हाथ
नै देखू कियो
हम होई
अथवा
होई आन !
दही के
मट्कुरी लिय
या
लिय पुरुकिया के
पँपथिया
सब गोटे कर जोरि
करू प्रणाम !!
मिथ्या कलंक सँ दूर
राखौउथ
राखौउथ जिनगी
निष्कलंक
मरर फोरू बैसू
निकालि खराम !!
__________________________________________


__.✍ हरेकृष्णा ठाकुर 
मधुबनी, बिहार
हाल : गौहाटी