नितदिन ई बन्द हड़ताल किया ?
अइ कोठी धान ओइ कोठी चाउर किया ?
सत्ताके पाछु मरल गरीब जनता ,
नेताके चाहि अधिकार किया ?
आम नागरिक भेल छै तवाह एत:
उ मौज करैय सबकेउ जाकऽ ओत:
दु महिनासँ दऽ के दुःख गरिब के ,
बनि रहल छै सरकार कत: ?
हे मानणीय नै देखाउ ई चमत्कार ,
गरिबकऽ चुल्हिमें नै लहरे आँच !
मेहनत रहल अछि जिनकर धन ,
हुनका पर ई अत्याचार किया ?
के जनैय इहा गरिबकऽ पिड़ा ,
कोनाकऽ जिनगीमें हेतै सवेरा !
बैठले खाईत छी घरमें घी मलिदा ,
झांकि कऽ देखियौ गरिबकऽ डेरा !!
बिछावन जकर पोरा के ओछरा ,
खा-खा भरैत छी सब अपन ओखरा !
गरिब के जिनगी मछरी केर चोकटा ,
आबु नै तड़पबियौ सबकेउ ओकरा !!
मधेश पहाड़ के एहन लडाइमें ,
गरीब मारल गेल छै भाइ रे !
कि मिलऽल छौ ओकरा न्याय ?
जे सहिद भऽ गेलौ अप्पन भाइ रे !!
आँखि खोलिकऽ देखैत जाइजो ,
नेताकऽ बातमें नै आबैत जाइजो !
जीबू आ गरिब के भी जियाबू ,
प्रदेश नै सबकियो अप्पन देश जोगाबू !!
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अइ कोठी धान ओइ कोठी चाउर किया ?
सत्ताके पाछु मरल गरीब जनता ,
नेताके चाहि अधिकार किया ?
आम नागरिक भेल छै तवाह एत:
उ मौज करैय सबकेउ जाकऽ ओत:
दु महिनासँ दऽ के दुःख गरिब के ,
बनि रहल छै सरकार कत: ?
हे मानणीय नै देखाउ ई चमत्कार ,
गरिबकऽ चुल्हिमें नै लहरे आँच !
मेहनत रहल अछि जिनकर धन ,
हुनका पर ई अत्याचार किया ?
के जनैय इहा गरिबकऽ पिड़ा ,
कोनाकऽ जिनगीमें हेतै सवेरा !
बैठले खाईत छी घरमें घी मलिदा ,
झांकि कऽ देखियौ गरिबकऽ डेरा !!
बिछावन जकर पोरा के ओछरा ,
खा-खा भरैत छी सब अपन ओखरा !
गरिब के जिनगी मछरी केर चोकटा ,
आबु नै तड़पबियौ सबकेउ ओकरा !!
मधेश पहाड़ के एहन लडाइमें ,
गरीब मारल गेल छै भाइ रे !
कि मिलऽल छौ ओकरा न्याय ?
जे सहिद भऽ गेलौ अप्पन भाइ रे !!
आँखि खोलिकऽ देखैत जाइजो ,
नेताकऽ बातमें नै आबैत जाइजो !
जीबू आ गरिब के भी जियाबू ,
प्रदेश नै सबकियो अप्पन देश जोगाबू !!
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