|| बाबू यौ हमरा पढ' दिअ ||

धनिकऽकऽ बेटी भेलै सियानी ,
पढि लिखकऽ भेलै ओ ज्ञानी !
तें अक्षर - अक्षर जोड' दिअ ,
बाबू यौ हमरा पढ' दिअ !!

हमरा पऽ करू अहाँ आसा ,
नै करब हम अपनेकें निरासा !
डेगे - डेग सिढी चढ' दिअ ,
बाबू यौ हमरा पढ' दिअ...!!

पढि - लिख कऽ होतै ज्ञान ,
भविष्यमे उडाएब हमहूं विमान !
अपन कपार सँ लऽड दिअ ,
बाबू यौ हमरा पढ' दिअ !!

गरीबी अछि जिनगी कें  हिस्सा ,
धनिकऽ कें लागै सुन' मे खिस्सा !
तें हमरो आगा बढ' दिअ ,
बाबू यौ हमरा पढ' दिअ !!

कहैए राजदेब सुनू हमर बात ,
बालश्रम केर मारु लात !
बुद्धि -विद्या ग्रहण कर दियौ ,
बगरीया यौ बौवा के पढ' दियौ !!
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