गज़ल ~ बैसल हाथ पऽ हाथ राखि रहब कतेक दिन

बैसल हाथ पऽ हाथ राखि रहब कतेक दिन ,
जागु उठु शोषन दमन सहब कतेक दिन !!

जँ मानैत नै छै तऽ उठा लिअ हाथमें हथियार ,
छिनु हक़ प्रेमकऽ भाषा सँ कहब कतेक दिन !!

चिकरि चिकरि कऽ शहिदकऽ सोनित मांगै न्याय ,
अपने खूनकऽ सागर में बहब कतेक दिन !!

चाकरी छोरु हिम्मत लाबि मालिक बनि कऽ जीबू ,
फरल गाछ सँ ऑम बनि झरब कतेक दिन !!

मन कानै तन कानै सौसे ऊपर गगन कानै ,
अपने धरती पऽ कुहरि मरब कतेक दिन !!
सरल वार्णिक बहर 
वर्ण : १८ 
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