जागु उठु शोषन दमन सहब कतेक दिन !!
जँ मानैत नै छै तऽ उठा लिअ हाथमें हथियार ,
छिनु हक़ प्रेमकऽ भाषा सँ कहब कतेक दिन !!
चिकरि चिकरि कऽ शहिदकऽ सोनित मांगै न्याय ,
अपने खूनकऽ सागर में बहब कतेक दिन !!
चाकरी छोरु हिम्मत लाबि मालिक बनि कऽ जीबू ,
फरल गाछ सँ ऑम बनि झरब कतेक दिन !!
मन कानै तन कानै सौसे ऊपर गगन कानै ,
अपने धरती पऽ कुहरि मरब कतेक दिन !!
सरल वार्णिक बहर
वर्ण : १८
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