गज़ल ~ आगामें भीड़ देख लोग नुकाइ छै

आगामें भीड़ देख लोग नुकाइ छै ।
पैसाके आगा प्रेम नै सुझाइ छै ।।

लुच्चाके बातकी विद्वानों छै सनकल ।
बेरे बखतमें संसार चिन्हाइ छै ।।

बेटा मरल तऽ पुतहु बनल बिधबा ।
अपनले बुढ्होमें बरतोहार खोजाइ छै ।।

टाँगल छै नेह सगरो खुटरी देबालमें ।
खीजे गहूमक सेतुवा पिसाई छै ।।

सुचना पठेबाक लेनेछै जे ठेक्का ।
कहियोकाल ढौवाले ओहो बिकाइ छै ।।
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