गज़ल ~ आइ फूल अपन ब्यथा सुनबै अछि

आइ फूल अपन ब्यथा सुनबै अछि !
कोना'क जीवन अपन बितबै अछि !!

कांटक बीचमे रहि नमहर भेलै !
आबि'क वो भमहरा रस पीबै अछि !!

किनको खोपाके सुन्दरता बढ़ेलकै !
अपन कोट पर कियौ सजबै अछि !!

रिझबै प्रेमी प्रेमिका के हाथ रहि'क !
ओकर मंडब के शोभा बढ़बै अछि !!

सफल नै भेल तखनहु इ जिनगी !
जखन देवी देवता के चढ़बै अछि !!

जीवन पुर्ण भजाइए ओहि क्षणमे !
सहिद'क ऊपर जखन बिछबै अछि !!
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__.✍ बिजय कुमार झा
देवडीहा, नगराइन धनुषा (नेपाल)