|| बन्हबै राखी ||

                  __✍ आनन्द राम 
राखी सँ छि थाली सजौने,
फल फूल मिठाईसँ डलिया ।
चंदनसँ छि कटोरी सजौने,
कखन  एत: हमर  भइया ।।

चिक्नी माटिक' छि चौरा लगौने,
अोहि' पर रखने छि पिढीया ।
रंग विरंग फूलसँ माला सजौने,
भाइ बहिनक' चित्र से  झुलना ।

पान मखानक' नस्ता बनउने,
तिलकोरक' तरने छि तरुवा ।
दुवारि' पर छि कलश सजौने,
पाऊँ पखालब एत: अंगना ।।

नइ मङ्गबै खेतवारी या रुपैया,
लेबै भईया सेनेहक' बगीया ।
चाँद सुरुजक' एतै रूप सजौने,
बन्हबै राखी दाहिन कलैया ।।

राखी सँ छि थाली सजौने,
फल फूल मिठाईसँ डलिया ।
चंदनसँ छि कटोरी सजौने,
कखन  एत: हमर  भईया ।।