जे निज स्वार्थ में डुबल अछि,
हुनका एतबे बुझल अछि !!
भेटत कहाँ सँ की की हमरा,
ताहि जुगाड़ में घुसल अछि !!
ताहि जुगाड़ में घुसल अछि !!
सायत भेटतैन नहि आब,
तें तऽ आइ वो रुसल अछि !!
तें तऽ आइ वो रुसल अछि !!
चलब भऽ गेल अते मुस्किल,
सगरो बाट जे खुनल अछि !!
अहिने लोक'क कारण आइ,
समाज में बिख घुलल अछि !!
समाज में बिख घुलल अछि !!