गज़ल ~ काँट सँ भरल

काँट सँ भरल तलाबके बाते नै करू
दिल तोरि' गेली जनाबके बाते नै करु

सियाह भेल बादल बर्षलै नै कोना
धोखा ओ दैत गेली तनाबके बाते नै करू

आइर बनोने ओ बड डैर बनोने ओ
जँ बात करी तऽ सबाबके बाते नै करू

सीमान पऽ अपने ओ बदनाम अपने भऽ ओ
दोष केकर पूछी टकराबके बाते नै करू

अन्हर उठल कतउ पथ्थर गिरल कतउ
लछ्तर संगे ओ पथराबके बाते नै करू

ओ रोग एहन देली बिरोग एहन देली
बस जिबित शरीर खराबके बाते नै करू

अनजान रही ओ बिरान रही हम
लऽदऽ किछ जबाबके बाते नै करु

नै ओ फासी दऽ गेल नै प्राण लऽ गेल
तलबार गर्दन पऽ नबाबके बाते नै करु

बात ओकर एहन जज्बात ओकर केहन
ओकर स्नेहक मर्म गुलाबके बाते नै करू
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__✍ अब्दुर रज्जाक
हरीपुर, धनुषा (नेपाल)
हाल : दोहा, क़तार