गज़ल ~ चौठी चान देखलौ


जे देखलहुँ बढ सान देखलौ ।
आजुक दिन चौठी चान देखलौ ।।

श्रद्धा भाव सँ उपास रहै माए ।
आँगन बिच पकवान देखलौ ।।

वेञ्जन सँ सजल रहै डलिया ।
तैपर सँ पान मखान देखलौ ।।

दोस महिम सब एकठा भेलै ।
नञ कतौ दोसर आन देखलौ ।।

चाहु दिस सँ भक्ति भजन गूञ्जै ।
सब आँगन भगवान देखलौ ।।
सरलवार्णिक वहर 
वर्ण: १२
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