छवि : प्रिना तिवारी |
पजरामे सटिक' ई कि केलियै यार
छुबिते अहाँके करेजा झनकि' उठल
पाजामे कसिक' ई कि केलियै यार
गाम सँ शहरधरि' एक्कैटा शोर छै
भरि' राति' बसिक' ई कि केलियै यार
अहाँक ठोरंङा तऽ अहीँ ठोरमे होबाक चाही
हमर गालमे घसिक' ई कि केलियै यार
धनिकहाके बेटी गरिबहाके घरमे
हमरा संगे फसिक' ई कि केलियै यार
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__✍ विन्देश्वर ठाकुर
जनकपुर धाम (नेपाल)
हाल : दोहा, क़तार