गज़ल ~ प्रीतम अहाँक प्रीतमे


ठोरहक बंद मुस्की हम, निहारैत गेलौं
प्रीतम अहाँक प्रीतमे मन, हारैत गेलौं

फटकारले अपन इ नयनसँ ,अहाँक
अंग अंगकें मटक सभ,बिचारैत गेलौं

नयनक एक एक पलक गिनिक,हम
मनक पना पऽ कलमसँ ,उतारैत गेलौ

कोन देवता बनौलक अहाँक, बनावट
रुप देखिते मनक दिप ,पजारैत गेलौ

पंजीरिया लेलीयै जखने अहाँ पँजरामे
हमहुँ प्रेम जाल मनमे, पसारैत गेलौं
सरल वार्णिक वर्ण-१६
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