जिनगीसँ पित उठैत अछि
कखनो काल मोनक नियम निचोडिक उठल
प्रेम लहर हिलोर मारैए
जगा दैए सपनासँ
देहक ऐंठन छोड़बैबला चूड़ीक खनक
मुदा ई अपराध अछि
कियैक त बेजुबान बिस्तरके
तकलीफ के होई छै
हजारो प्रश्नक उत्तर
शून्य हाथ लगलासँ खोजलौं
प्रेम विरोध सवा ब्याजमें
पऔलौं सजाय मृत्युक डोरी
कखनो अबाज अहाँक अबैए
गीत ग़ज़लक रागिनी सुनबैए
अहिं छी रास्ता महफिलक
कल्पनाक गगनमें मधुवन सजा रहल छी
दुनियामें जीबाक अच्छी तें में लगा रहल छी
सभार : पीड़ा में प्रदेश (मैथिली कविता संग्रह)
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__.✍ बेचन महतो
सिंगयाही,धनुषा (नेपाल)
हाल : दोहा, क़तार