|| रक्षाबन्धन - भाई-बहिनक प्रेम ||

छवि : विकाश आ नविका
भाई-बहिनक प्रेम भरल छै
लिअ ने एकरा अर्थ अनेक
एक दिन ला' सालमे आबए
तें तऽ छै ई पर्व बिशेष ।

थाल सजल छै लड्डु रखल छै
लाल चन्दनसँ माथ रङ्गल छै
हर्ष-उल्लासक बाढि आबि गेल
हाथमे स्नेहक डोर बन्हल छै ।

चारुदिस गुन्जैय गीत
भाए-बहिनक रीत आ प्रीत
माँ अम्बे सँ करथि प्रार्थना
होए भैयाके जीते जीत ।

नीक पथ रोजू यौ भैया
बढतै हमरो आत्मविश्वास
रक्षा करब देश,समाजक
रखनेछी बस इहे आस ।

अहाँ हमर आँखिक तारा
छी हम बहिन अहाँक दुलार
शत्रुके चङ्गुलस करब
सद्खनि अपन भूमि उद्धार ।

बाट जोहब हम एहि दिनके
रहत जाँधरि ठोठमे प्राण
रक्षाबन्धन जगमग करतै
भैया जियत सालो साल ।
__________________________________________


__✍ विन्देश्वर ठाकुर 
जनकपुर धाम (नेपाल)
हाल : दोहा, क़तार