ए ! शान्तिदूत परवा उड़िकऽ आ अप्पन देशमे
फैलऽवै तों शान्ति हिमाल, पहाड़ आ मधेशमे
एतऽके सभ नर–नारी अछि शान्तिकेँ पूजारी
सहत कोना हिंशा पसरल अछि समस्या भारी
हिमालक अमृत जलमे मिलिगेल शोनितकेँ धारा
भेल अछि अखन शसंकित जनता नेपाली सारा
परवा छे तों सहासी पृय सभक मोनक विश्वासी
कर तोँ कोनो उपाय रहे नहि किओ बनवासी
दू भाइ बीच अपन समस्या केँ जितत केँ हारत
नेपाल माइक दुखित नयन नोर कतेक झारत
हटादे रे परवा तोँ भाइ–भाइ बीच मोनक दूरी
अनाहकमे नहि उजरे आब सधवाकेँ माङ सिन्दुरी
___________________________
फैलऽवै तों शान्ति हिमाल, पहाड़ आ मधेशमे
एतऽके सभ नर–नारी अछि शान्तिकेँ पूजारी
सहत कोना हिंशा पसरल अछि समस्या भारी
हिमालक अमृत जलमे मिलिगेल शोनितकेँ धारा
भेल अछि अखन शसंकित जनता नेपाली सारा
परवा छे तों सहासी पृय सभक मोनक विश्वासी
कर तोँ कोनो उपाय रहे नहि किओ बनवासी
दू भाइ बीच अपन समस्या केँ जितत केँ हारत
नेपाल माइक दुखित नयन नोर कतेक झारत
हटादे रे परवा तोँ भाइ–भाइ बीच मोनक दूरी
अनाहकमे नहि उजरे आब सधवाकेँ माङ सिन्दुरी
___________________________
0 Comments