मजबुरीमे मजदुरिक' जि रहल छी जिनगी फाटल अछि गरिबी सि रहल छी जिनगी हम तऽ बस दर्शकेटा छि परिवर्तनकेर अत घुटै-घुटैक अभाबेटा' पि रहल छी जिनगी …
Read moreजेकरे घूड़ा आगि' तापि' तेकरे ......... दागि'
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ई शायरी प्राप्त करि !
Read more'मिथिला' राज्यकेर हम तऽ, जल्दीएँ निर्माण करबौ माए करए पड़ए हँसि- हँसिकऽ, जानो कुर्बान करबौ माए ॥ __.✍ विद्यानन्द वेदर्दी
Read moreमाथपे टिकुली अहाँके , पहिचान अछि मिथिला नारी के ! खूब सुनर दिख रहल छि अहाँ , लाल रंगक ऽ सिल्क साड़ी में !!
Read moreप्रेमक ऽ पठरी प ऽ चहैड गेलौं , अहाँक ऽ हाथ पकैड़ लेनौं ! चाहे दुनिया आब किछ कहे हमरा , हम त ऽ अहाँके जीवनसाथी माईन लेनौं !!
Read moreमेहनत-बलसँ केहनो पत्थर फूटाए जाइछै, अन्हारो घरमे रोटी मुहँमे घोटाए जाइछै ! किएक नहि डरत इजोतसँ मोन हमर ? जखन इजोतेमे …
Read moreजनकपुरक सवर्ग द्वार
Read moreहोठ अहाँके रस के प्याला , चनचल नयन कटार ! तिरछी नज़र सँ देख रहल छी , कहु की छथि अहाँक ऽ बिचार !!
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