हे प्रभु आजू शिव रात्री के दिन छैक अहाँ भाङ्ग पिके भकुवाएल छि किऐ भक्त सब जल लेने आबिगेल अहाँक दुवार अहाँ कैलाश पर्वत मे जाके नुकाएल छी किए भाङ्ग धतु…
Read moreकहुना - कहुना जिनगी जि रहल छी फाटल करेज प्रेमक धगासँ सिरहल छी शायद दोख हमरे रहे जान यै, तें अहाँक देल जहर अमृत समझिक पि रहल छी …
Read moreउदगार यादव मिथिलाञ्चल शायरी के मेम्बर रचनाकार उदगार यादव जी के रचना सब स्टेप By स्टेप पढ़ि सकैत छी। आ मिथिलाञ्चल शायरी पर अपने सब मैथिली में रचना, शायर…
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