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भगवती गीत
गज़ल ~ जे निज स्वार्थ में डुबल अछि
Maithili Shayari ~ छे तू हमर रूपमती ...
गज़ल ~ मिथिलाक  संतान
गज़ल ~ दुर रहैत  छि हुनके संग में
रचनाकार बिजय कुमार झा