जखन स्वान्तः सुखक सिमान नाघि आनक उपहासक नीमित बनि जाइछ, ठोर पर अरिपन सन पारल मुसकी जखन अहंकारक अट्टहास गढ़ैछ तखन ओकर हँसब मात्र हँसब नहि रहि जाइछ ओक…
Read moreकखनो भाव बनि जाइत छै भाप सन आ कि मनोरथ बनि जाइत छैक पाथर सन भारी भरकम नहि उठैत छैक ओकर कान्ह पर शोणित घाम सेहो बनि जाइत छैक रब्बी राइकेँ ऐढ़ैत अप…
Read moreमास फागुनमे कचकैए मोन सजना मास फागुनमे । कुहकै कोइलिया लागय रिंगटोन सजना मास फागुनमे ।। रंग अबीरक पठबै फोटो । पैघो रभसै रभसै छोटो ।। एसगरमे राति अकाबोन…
Read moreडिजिटल फगुआ खेलएब सजना । हे हे डिजिटल - - - जखने सजन जी अॉन लाइन हेता । रंग अबीरक जीआइएफ पठेता ।। गुलालक पीडीएफ पठएब सजना । सजन जीकेँ चौसठि जीबी मेम…
Read moreताराक बूनका रातुक सियाही चान एसगर कते छै सोचू किए हम लोक ओम्हर कते छै एम्हर कते छै छोड़ि चतुरंगिनी सेना पार्थ मांगि लेलकै जे केशव जीति सकलै की कौरव धूआ स…
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