बिधना लिखल मेटल नहिं जाय !!
Read moreई शायरी प्राप्त करि !
Read moreकहुना - कहुना जिनगी जि रहल छी फाटल करेज प्रेमक धगासँ सिरहल छी शायद दोख हमरे रहे जान यै, तें अहाँक देल जहर अमृत समझिक पि रहल छी …
Read moreगेल माघ २९ दिन बाँकी....
Read moreमजबुरीमे मजदुरिक' जि रहल छी जिनगी फाटल अछि गरिबी सि रहल छी जिनगी हम तऽ बस दर्शकेटा छि परिवर्तनकेर अत घुटै-घुटैक अभाबेटा' पि रहल छी जिनगी …
Read moreजेकरे घूड़ा आगि' तापि' तेकरे ......... दागि'
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ई शायरी प्राप्त करि !
Read more'मिथिला' राज्यकेर हम तऽ, जल्दीएँ निर्माण करबौ माए करए पड़ए हँसि- हँसिकऽ, जानो कुर्बान करबौ माए ॥ __.✍ विद्यानन्द वेदर्दी
Read moreमाथपे टिकुली अहाँके , पहिचान अछि मिथिला नारी के ! खूब सुनर दिख रहल छि अहाँ , लाल रंगक ऽ सिल्क साड़ी में !!
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