__. ✍ विन्देश्वर ठाकुर जनकपुर धाम (नेपाल) हाल : दोहा, क़तर - भुली गै ! आइ कोन दिन छै ? - आँए रौ, बुझिक' एना अनठबैछे किए ? सोम नै छै…
Read moreहे लोकक विश्वास घात नै करियौ सूथनीसनके बात नै करियौ बैसल छै सब मिलिक' एहिठाँ जहर घोरिक' कात नै करियौ अखना अखना भऽ जेती मिथि…
Read moreआबू सबकिओ मिलि करैछी औझका दिनके स्वागत यौ पुत्रक घर सूर्यदेब पहुँचल करियौन आगत भागत यौ ।। शनी देवता पुत्र छयनि हिनकऽ मकर राशीके स्वामी यौ उत्तरायणके सम…
Read moreआँखिक काजर कि बनी ठोरक लाली हम रही स्वतन्त्र कि करी अहाँक गुलामी हम पुवासन फुलल गाल नै जानि ककरा ला' देखैत छी अहूंके बनल मतबाली हम मारैय जोबन हिलो…
Read moreनै जानि ई जिनगी सिखा गेलै की की गजलके नाम पर लिखा गेलै की की पैसा लेल बेचलहुँ हम श्रम आ पसिना कि पता आरो बिका गेलै की की लूटल जवानी प्रव…
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