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छवि : सरिता साह जान की जान सँ बैईढ कऽ मानैत छली ओ छै निर्दय साच्चो हम नै जानैत छली ओ पीठ पाछु छुरा घोपै से हमरा की पता आ हम सदति दुवामे ओकरे माँगैत छल…
Read moreकखनो रूसनाई कखनो मनेनाई हुनकर कखनो हँसनाई कखनो कननाई हुनकर बाँचल जिनगी एहिना बीतल जाई अछि एक मात्र नोर नहि देखल जाईयै हुनकर । महिन ताग सँ गुँथल अछि सम्…
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Read moreअइबेर के वैलेंटाइन डे में किछ अलग होतै दबल मोनमे आस छल जे नै भेलै पिछला साल से होतै याद अछि हमरा उ पल दू पंछी के कोना उड़ैल कै कोना कऽकऽ छुपल छलौ मार…
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Read moreदम मारु दम बस दम मारु दम बाबा भोलेके छै प्रसाद तब कथिके छै गम दम मारु दम बस दम मारु दम हम ना समझ छि आ हम छि अज्ञानी बाबा भोले छथि तिनो लोकके स्वाभिमानी…
Read more__. ✍ विन्देश्वर ठाकुर जनकपुर धाम (नेपाल) हाल : दोहा, क़तर - भुली गै ! आइ कोन दिन छै ? - आँए रौ, बुझिक' एना अनठबैछे किए ? सोम नै छै…
Read moreआँगनक तुलसी कोन कारणे, आई भेलै महकारी दहेजक हावा ऐहन चललै,बेटी आई भेलै भारी तुलसी इ तुलसी खेलसँ, तुलसीक बिज तारल जाई कि तँ कोडियाईते आ लहलहाइते, फेर मार…
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