नै पुछ मिता कि - कि कहानी छै हमर बालु पऽ साम चढबैत जवानी छै हमर मरुभूमिमे बालुके घोंरस्ँ दही जम्बै छी हम लोक पतीयाइ कहाँ ? …
Read moreअपना अस्थाके निरंतरता दऽ रहल छै मैथिल अही प्रकारे जेना बर्षेनी बहैत नदिके पानि' जे शुरुवाती छोडसँ महासागर तक बहैत रहैय अटुट भऽ विज्ञानके निक जकाँ …
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छवि : सरिता साह जान की जान सँ बैईढ कऽ मानैत छली ओ छै निर्दय साच्चो हम नै जानैत छली ओ पीठ पाछु छुरा घोपै से हमरा की पता आ हम सदति दुवामे ओकरे माँगैत छल…
Read moreकखनो रूसनाई कखनो मनेनाई हुनकर कखनो हँसनाई कखनो कननाई हुनकर बाँचल जिनगी एहिना बीतल जाई अछि एक मात्र नोर नहि देखल जाईयै हुनकर । महिन ताग सँ गुँथल अछि सम्…
Read moreई शायरी प्राप्त करि !
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Read moreअइबेर के वैलेंटाइन डे में किछ अलग होतै दबल मोनमे आस छल जे नै भेलै पिछला साल से होतै याद अछि हमरा उ पल दू पंछी के कोना उड़ैल कै कोना कऽकऽ छुपल छलौ मार…
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Read moreदम मारु दम बस दम मारु दम बाबा भोलेके छै प्रसाद तब कथिके छै गम दम मारु दम बस दम मारु दम हम ना समझ छि आ हम छि अज्ञानी बाबा भोले छथि तिनो लोकके स्वाभिमानी…
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