माँ सरस्वती दियौं अहाँ सबके बुद्धि,ज्ञान हे अहिं हंसवाहिनी छी अहिं ज्ञानक भन्डार हे बौवा, बुच्ची, सँ लऽकऽ यहाँ बुढ़ बृद्धा सबके ज्ञानक जोती बारैत रहू…
Read moreबाबू हौ नई हम जईवो काम करैला हमरा लिखा दा स्कूल मे नाम सबगोटे जाइ छैक स्कूल पढ़ हमरा कईला, करबैत छा काम धन्दा हौ बाबू ! लिखादा स्कूल मे नाम हौ बाबू …
Read moreकोइ रौदे - रौद सँ जरै छैक, कोइ ठंडे - ठंड मे मरै छैक !! कोइ खाति' - खाति' परेशान एत, केकरो रोटियो पर नै नुन पडै छैक !! …
Read moreसुतलामे देखलौं, आई ऐहन सपना राखी लेने बहीन, ठाड छलै अंगना निपल पोतल छलै, घर आ असोरा पिढिया पऽ गढल छलै, पिठारक' छपना काग कुचरैत छलै, आश बढैत छलै बा…
Read moreमित्रताके हाथ कनिक, नरम हेबाक चाही ! आपतिमे हाथ कनिक, गरम हेबाक चाही !! पापी मन मात्र पाप, सोंचिते रहि' जायत छै ! पापियोमे कहियो काल, धरम हेबाक …
Read moreधनेश्वर ठाकुर मिथिलाञ्चल शायरी के मेम्बर रचनाकार धनेश्वर ठाकुर जी के रचना सब स्टेप By स्टेप पढ़ि सकैत छी। आ मिथिलाञ्चल शायरी पर अपने सब मैथिली में रचना,…
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