छवि : सरिता साह जान की जान सँ बैईढ कऽ मानैत छली ओ छै निर्दय साच्चो हम नै जानैत छली ओ पीठ पाछु छुरा घोपै से हमरा की पता आ हम सदति दुवामे ओकरे माँगैत छल…
Read moreहेज केर हेज हमर प्रतिदून्दी बैसल अछि हमर सफलताक बाट पर रोड़ा,पत्थर, पहाड़ बनि हमर अस्तित्व गिराब लेल हमर पहिचान मेटाब लेल मुदा, अपन इक्छा सक्ति बले अ…
Read moreअहाँके जाईते जग्मगाईत इजोरिया कारी लगैय दिन कटि जाई छै कहुना राति बड़ भारी लगैय छुटलै जहिये अहाँक ठोरक मधुरस के रसपान तहिये सँ आब मिठ भाङ धथुर दारु तारी …
Read more__.✍ मो. अशरफ राईन सिनुरजोड़ा, धनुषा (नेपाल) हाल : दोहा, क़तर - समतोलिया एना किया ओहि कात मुह घुमा कऽ सुतल छी ? कनी हमरा दिस घुमू नऽ । - दूर जाउ !…
Read moreदेखु जिनगी जखन प्रीत मे बदलल ! दुस्मन सेहो तखन मित मे बदलल !! बिनु रुपैया नई रहै कोई बाबु आ भैया ! भेल दु पाइ तऽ सब हीत मे बदलल !! आस नई छोडने छलौ आखरि …
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