नै पुछ मिता कि - कि कहानी छै हमर बालु पऽ साम चढबैत जवानी छै हमर मरुभूमिमे बालुके घोंरस्ँ दही जम्बै छी हम लोक पतीयाइ कहाँ ? …
Read moreअपना अस्थाके निरंतरता दऽ रहल छै मैथिल अही प्रकारे जेना बर्षेनी बहैत नदिके पानि' जे शुरुवाती छोडसँ महासागर तक बहैत रहैय अटुट भऽ विज्ञानके निक जकाँ …
Read moreआँगनक तुलसी कोन कारणे, आई भेलै महकारी दहेजक हावा ऐहन चललै,बेटी आई भेलै भारी तुलसी इ तुलसी खेलसँ, तुलसीक बिज तारल जाई कि तँ कोडियाईते आ लहलहाइते, फेर मार…
Read moreदेह सँ देह सटिते , देह इनहोर भऽ गेलै राति पडल छलै भारी, चटसँ भोर भऽ गेलै बड अजगुत लागल, चारु नयनक भाषा मिलते चारु अन्हारीया, राति इजोर भऽ गेलै…
Read moreअहाँके आद अछि ओ दिन आईसँ ठिक १२ बर्ष पहिने आजुके दिन भेल छलै निबन्ध लेखन प्रतियोगिता २५० शब्दमे तँहिमे धन्यवादके पात्र बनल छली हम अहाँ तरफसँ आ अहाँ …
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