हमरा लेल तों काँट कोना भऽ गेलही बिनु कटले तों छाँट कोना भऽ गेलही मानैत छलियौ अपना मनक खम्बा आई छिटैकिक' टाट कोना भऽ गेलही तोरा देखिऐक मन मिठ भऽ जाए…
Read moreओहे, कमला नदिके बाँध, ओहे, गामक पिपलकें छैयाँ । मनतँ हमर, अँहिमे डुबल, अहाँ भेलौ केहन कसैया ?।। हम अखनो अहाँकें, ओहिठाम, इन्तजार करै छि । जै बागम…
Read moreकोन आँखि खोललियै भोला, थरथर कापै संसार ! खोलि दियौ दयाकें आँखि भोला, जग होईय अन्हार !! पानि बिनु जीव तड़पै, असारमे बर्खा रुकलै ! कहि दियौं इन्द्रसँ …
Read moreआई निंदबासन रात्रिमे अद्भुत सपन देखलौं । बिचित्र रुपमे एकटा नारी आ हाथमे कफन देखलौँ ।। कुछ लोक ओकरा पछाडी रंग बिरंगकें झण्डा लेने अवाज लगबैत …
Read moreसंदेश लऽकऽ आएल छी अपना माटिके, मनमे धऽकऽ आएल छी अपना माटिके घुमि आएब एक दिन जग ईजोत कऽ, वचन दऽकऽ आएल छी अपना माटिके …
Read moreगगनमे छी अहाँ ! मगनमे छी अहाँ !! गुलाबक, रुपमे ! चमनमे छी अहाँ !! हाथक, सुन्दरता ! कँगनमे छी अहाँ !! प्राकृतिक, भावना ! पवनमे छी अहाँ !! जत जाई …
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