__.✍ विन्देश्वर ठाकुर जनकपुर धाम (नेपाल) हाल : दोहा, क़तर - अएं ये, सुनैछी? - कि? - नै नै, कहूं त मिथिलाके सब कवि कतारे कोना चलि गेलियै?? - जा…
Read moreदेखही रौ भाई सब ई छौरी कोना करैत छै सन सन रौ ! घुमैत छै हरदम संगमे लऽ के समान दुटा आईटम बम रौ !!
Read moreओढि लाल चुनरी करि सोलह श्रींगार हमर प्रेमिका भऽ गेल दोसर संग फरार लाख टका के प्यार छने मे खुदरा कऽ गेल जेकरा पाछु बेच देलीयै BMW कार गाड़ी, बैंकबैलेंस ख…
Read moreदेखु जिनगी जखन प्रीत मे बदलल ! दुस्मन सेहो तखन मित मे बदलल !! बिनु रुपैया नई रहै कोई बाबु आ भैया ! भेल दु पाइ तऽ सब हीत मे बदलल !! आस नई छोडने छलौ आखरि …
Read moreअहाँ के संग जिय के हमरा, अहाँक दीदार ज़रूरी अछि ! हम भगवान सँ किछ नई मंगली, बस अहाँक प्यार ज़रूरी अछि !! साभार : अक्षय बंकर
Read moreठोरहक बंद मुस्की हम, निहारैत गेलौं प्रीतम अहाँक प्रीतमे मन, हारैत गेलौं फटकारले अपन इ नयनसँ, अहाँक अंग अंगकें मटक सभ, बिचारैत गेलौं एक - एक नयनक प…
Read moreहमर प्रेमक पहिचान तोहि तऽ छे, हमर जियऽ के अरमान तोहि तऽ छे ! कोना कहु तोरा ई दिल के बात, हमर आशिक़ी हमर जान तोहि तऽ छे !!
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खगल मलहवा खन कोशी, खन कमला केर तीर टहलल फिरैए भोर साँझ ओ पहिरि पंचरंगा चीर ।। घुमा क ऽ फेकए बोझ परिवारक, घिचए उमेदक जाल। रौदी, गरमी, ख…
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