【 कता ~ २ 】
गज़ल ~ मित्रताके हाथ कनिक
गज़ल ~ गगनमे छी अहाँ !!
【 कता ~ १ 】
गज़ल ~ एकटा अहिँके तलासमे छी
गज़ल ~ जे निज स्वार्थ में डुबल अछि
गज़ल ~ अन्हरिया राति' मे किया इंतजार भेल
|| हउ दमोदर ||
Maithili Shayari ~ छे तू हमर रूपमती ...
|| महराज ! ऐना किय ? ||