मोन पारु बिसरल बात मोन पारु अपन माएक बोल सदिखन अहाँ उचारु जे शब्द सब परता पड़ल जाइए जे सँस्कृती सब आब उठल जाइए हे यौ बगरीया तेकरा सब मिलि उराहु…
Read moreहे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी फोलू ज्ञानक भंडार ह'म अज्ञानी शरणमे अयलहुं शीश झुकओने ठाढ़ । श्वेतवस्त्राम्बुज कमलासिनी वाणी सुधा रसधार कोकिल कंठ दिय'…
Read moreबिन्ती हे माँ सरस्वती, जिनगी हमर समहारि दिय हम अज्ञानी ज्ञानक दिप अहाँ, अहिबेर बाइर दिय आखिँ देखतो आँन्हर छी, अहाँक आशिष बिनु कोन जुक्ति लगाक हम इ अहाँ …
Read moreमाँ सरस्वती दियौं अहाँ सबके बुद्धि,ज्ञान हे अहिं हंसवाहिनी छी अहिं ज्ञानक भन्डार हे बौवा, बुच्ची, सँ लऽकऽ यहाँ बुढ़ बृद्धा सबके ज्ञानक जोती बारैत रहू…
Read moreहरिणक गवाही सुगर देल ! दुनू पड़ा कऽ बने गेल !!
Read moreज्ञानक गठरी खोलि दही न माई बुद्धिक ज्योति बारि दही न माई अज्ञानी के सदैत ज्ञान दैत छिहि तू एस के के सेहो निखारि दही न माई …
Read moreतिले तिल आब बढ़त दिन सभक मोनमें ई बात गढ़त दिन भोरे भिन्सर उठि नहाँ-सोनांह कऽ बौआ बुच्ची लाई' लेल लड़त दिन मिथिला …
Read moreकिछ पाबैक लेल , दिन राति मेहनत करे परैत अछि !
Read moreचौबनीया मुस्कि मारलक बेजोर उरल मोन गगन के ओर धियापूता मोन नै बूझलकै दौरल उरैत तितली के पाछू रूचीगर सँ खेए लागल प्रेमक कचरी पहीनके कर मे परल अकरी …
Read moreछवि : प्रिना तिवारी भूलो सँ हम आहाँके भूलि' नै पबैछी । मोन मे अहिंक तस्वीर गढैत रहैछी ।। नैनक' तीर चला करेजा केलौ छल्ली । तिरछी नजरि' सँ…
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